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दर्द भरी शायरी | dard bhari shayari in hindi

दर्द भरी शायरी | dard bhari shayari in hindi

 दर्द भरी शायरी | dard bhari shayari in hindi

मुझे देख कर, जब उन्होंने अपना मुँह मोड़ लिया,

मुझे एक तसल्ली हो गयी

चलो अब भी वो हमें पहचानते तो हैं।”

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एक बात समझाई है.जिंदगी में मुझे

कभी कभी जिंदगी के तलाश में

सामना मौत से भी हो जाता हैं

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न जाने क्यों लगता हैं

अब तुमने बहुत देर कर दी

पर जब तक एहसास होगा

हमारी मोहब्बत का

तब तक हमारा पता बदल जायेगा

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सुना हैं अब

किसी और की बाहों में हो तुम

अब हम से किये बाते

किसी और से किया करते हो

सच में सनम बड़े बेईमान हो तुम

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मैं समझ जाता मोहब्बत

अगर हमे वो मिल जाती

पर अच्छा हुआ नहीं मिली

अगर मिल जाती तो

ये शायरी न बन पाती

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एक तरफ हम हैं

जो अपनी जिद पर अड़े हैं 

और एक तरफ हमारी जिंदगी

जिसे हारना पसंद नहीं हैं

वो चले थे तोड़ने हमे शीशा समझकर

पर वो शायद भूल गए

पथकर को तोडना आसान नहीं हैं

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आशिकों की किस्मत में जुदा होना ही लिखा होता है..

सच्चा प्यार होता है तो दिल को खोना ही लिखा होता है..

सब जानते हुए भी में भी मोहोब्बत उससे कर बैठा..

भूल गया के मोहब्बत में सिर्फ रोना ही लिखा होता है..

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ना हंसने को जी चाहता है..

ना आंसू बहाने को जी चाहता है..

लिखूं तो क्या लिखूं तेरी याद में..

बस तेरे पास लौट आने को दिल चाहता है..” 

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एक दिन जब दुनिया से चले जायेंगे..

ये मत सोचना तुमको भूल जायेंगे..

बस एक बार आसमान की तरफ देख लेना..

मेरे आँसू बारिश बनके बरस आयेंगे ..”

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यह मोहब्बत का दर्द भी अजीब होता है

दर्द तो बहुत होता है

लेकिन ना सुना सकते हैं ना बता सकते हैं

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मेरी मोहब्बत को मंजिल नहीं मिली तो क्या

खुदा भी तो हर किसी को नहीं मिल पाता

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तुमसे दूर रहकर भी

परवाह करूंगा तुम्हारी

साथ खत्म हुआ है

तुमसे मेरी मोहब्बत नहीं

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हो चुके अब तुम किसी के;

कभी मेरी ज़िंदगी थे तुम;

भूलता है कौन मोहब्बत पहली;

मेरी तो सारी ख़ुशी थे तुम।


Ho chuke ab tum kisi ke;

Kabhi meri jindgi the tum;

Bhultaa hai kaun mohabbat pahli;

Meri to saari khushi the tum।

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जिंदगी भर दर्द से जीते रहे;

दरिया पास था आंसुओं को पीते रहे;

कई बार सोचा कह दू हाल-ए-दिल उससे;

पर न जाने क्यूँ हम होंठो को सीते रहे।


Jindgi bhar dard se jite rahe;

Dariyaa paas thaa aansuon ko pite rahe;

Kayi baar sochaa kah du haal-aye-dil usse;

Par n jaane kyun ham hontho ko site rahe।

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वो देता है दर्द बस हमी को;

क्या समझेगा वो इन आँखों की नमी को;

​चाहने वालों की भीड़ से घिरा है जो हर वक़्त;

वो महसूस ​क्या ​करेगा ​बस ​एक हमारी कमी को। ​


Vo detaa hai dard bas hami ko;

Kyaa samjhegaa vo en aankhon ki nami ko;

​Chaahne vaalon ki bhid se ghiraa hai jo har vkt;

Vo mahsus ​kyaa ​kregaa ​bas ​ak hamaari kami ko। 

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चाहत की राह में बिखरे अरमान बहुत है;

हम उसकी याद में परेशान बहुत हैं;

वो हर बार दिल तोड़ता है यह कह कर;

मेरी उम्मीदों के दुनियाँ में अभी मुकाम बहुत हैं।


Chaahat ki raah men bikhre armaan bahut hai;

Ham uski yaad men pareshaan bahut hain;

Vo har baar dil todtaa hai yah kah kar;

Meri ummidon ke duniyaan men abhi mukaam bahut hain।

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मेरी गुम हुई उम्मीदों को जगाया क्यों था …

दिल जलना था, तो फिर तुमने दिल लगाया क्यों था ..

अगर गिरना था, इस तरहा नजरोसे हमें …

तो मेरे प्यार को कलेजे से लगाया क्यों था..”

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बनाने वाले ने #दिल काँच का बनाया होता..

तोड़ने वाले के हाथ मे जखम तो आया होता..

जब भी #देखता वो अपने हाथों को..

उसे हमारा ख़याल तो आया होता..”

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दवा है, दर्द सीने में दवा उसकी दवा दी है..

ऐ मेरी रानी तुने #मुझे किसकी सजा दी है..

माना की तुने मुझे छोड़ दिया सारी जिन्दगी के लिए..

फिर भी #खुदा से तेरे हँसने की दुआ की है..”

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लोग मिला करते हे ज़िंदगी मे दिल को दर्द देने के लिए, वो भी आए थे दिल की कहानी सुनने के लिए, वो हवाओ की तरह रुख़ बदलते रहे, हम तक़दीर से लड़ते रहे जिनको पाने के लिए.

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उनकी तस्वीर को सीने से लगा लेते हैं, इश्स तरह जुदाई का घाम मिटा लेते हैं. किसी तरह ज़िकार हो जाए उनका, तो हंसस कर भीगी पलकें झुका लेतेहैं.

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मिटा सके जो दर्द तेरा वो शब्द कहाँ से लाऊँ… चूका सकूं एहसान तेरा वो प्राण कहाँ से लाऊँ… खेद हुआ है आज मुझे लेख से क्या होने वाला… लिख सकूं मैं भाग्य तेरा वो हाथ कहाँ से लाऊँ… देखा जो हालत ये तेरा छलनी हुआ कलेजा मेरा…

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ज़िंदगी से वफ़ा हमने भी की हैं बहोत पर गमों के सिवा और कुछ मिला भी तो नही, एक तुझको पाकर बहुत खुश था मैं , पर साथ तेरा मंज़िल तक मिला भी तो नही

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हर गम सहा तेरे प्यार के खातिर, हर दीवार तोड़ी तेरे दीदार के खातिर, हर उमीद मिटा दी तुम्हे पाने की खातिर, और तुमने दिल तोड़ दिया ज़माने के खातिर.

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निकलके उन्ही के दिल से हम महफ़िल मे आ बैठे हे, हमारी मुश्किल ये हे की बड़ी मुश्किल मे आ गये हे, लड़खड़ाने लगे हे पैर उनकी बेवफ़ाई की चोट से, पर लोग कहेते हे पी के सारी महफ़िल मे आ गये हे.

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