dard bhari shayari in Hindi | दर्द भरी शायरी हिंदी
मेरी मोहब्बत है वो कोई मज़बूरी तो नही,
वो मुझे चाहे या मिल जाये, जरूरी तो नही,
ये कुछ कम है कि बसा है मेरी साँसों में वो,
सामने हो मेरी आँखों के जरूरी तो नहीं।।
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खुदगर्ज़ बना देती है शिद्दत की तलब भी...
प्यासे को कोई दूसरा प्यासा नहीं लगता...!!
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वो क्या जाने, यादों की कीमत,
जो ख़ुद यादों को मिटा दिया करते हैं,
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यादो का मतलब तो उनसे पूछो जो,
यादों के सहारे जिया करते हैं।😢
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इक तुम हो जिसे प्यार भी याद नहीं,
इक में हूँ जिसे और कुछ याद नहीं,
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ज़िन्दगी मौत के दो ही तो तराने हैं,
इक तुम्हें याद नहीं इक मुझे याद नहीं।🥰
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एक तो ये रात, उफ़ ये बरसात,
इक तो साथ नही तेरा,
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उफ़ ये दर्द बेहिसाब
कितनी अजीब सी है बात,
मेरे ही बस में नही मेरे ये हालात।🌧
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इक तुम हो जिसे प्यार भी याद नहीं,
इक में हूँ जिसे और कुछ याद नहीं
ज़िन्दगी मौत के दो ही तो तराने हैं,
इक तुम्हें याद नहीं इक मुझे याद नहीं।🥰
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मैं आदत उसकी ... वो जरूरत मेरी ..
मैं ख्वाब हूं उसका और वो हकीक़त है मेरी _______________________________________________
किताबें भी पढ़ने का शौक़ नहीं था हमें,
और इस इश्क़ ने आँखें पढ़ना सिखा दिया..
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तुम दिल से हमें यों पुकारा ना करो,
यु तुम हमें इशारा ना करो,
दूर हैं तुमसे ये मजबूरी है हमारी,
तुम तन्हाइयों में यूं तड़पाया ना करो…...!!!
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दो लफ्ज़ तुम्हें सुनाने के लिए....!
मैंने हजारों लफ्ज़ लिखे जमाने के लिए।
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इश्क़ तो मेरा..
महफूज़ है तुझमें..!
ज़िस्म अलग है पर..
रूह है तुझमें..!!
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यादें और शमां भरी हैं..
बस इस दिल में..!
बस तू है, तू है...
और..सिर्फ तू है मुझमे..!!
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अगर सच में किसी का साथ ज़िन्दगी भर चाहते हो तो,
कभी मत बताओ की उससे कितना प्यार करते हो…!!
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कभी जो प्यास लगे मेरे घर चले आना…
इश्क़ दरिया सा बहता है यहां शायरी छलकती है...
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सुनो...
कागज़ी इक़रारनामे के क़ायल नहीं है हम,
मगर चाहो तो होंठो पे दस्तख़त ले लो तुम..!
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आ मत जाना अब
अब हम संभल गये हैं।
यूँ बिखरने का हौंसला
बार-बार नहीं होता।
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मैं अपने आप में मिलनें को तरस जाऊं,
मेरे वजूद में इतना भी मत समाया कर.......!!
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"दिल की धड़कन और मेरी सदा है तू,
मेरी पहली और आखिरी वफ़ा है तू,
चाहा है तुझे चाहत से भी बढ़ कर,
मेरी चाहत और चाहत की इंतिहा है तू।"
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प्यास दरिया की निगाहों से छुपा रक्खी है,
एक बादल से बड़ी आस लगा रक्खी है...!
तेरी आँखों की कशिश कैसे तुझे समझाऊँ,
इन चिरागों ने मेरी नींद उड़ा रक्खी है...!!
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यादें उनकी ही आती है, जिनसे कोई ताल्लुक हो ....
हर शख्श मौहब्बत की, नज़र से देखा नहीं जाता.....
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ज़माने को क्यूं बताऊं क्या हो तुम मेरे लिए..
तुम्हें खामोशी से चाहना मुझे अच्छा लगता है।
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तुम चाहती हो की तुमसे बिछड़ कर खुश रहूं,
यानी हवा भी चलती रहे और दिया भी जलता रहे..!!
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नज़र वहीं हैं,
जो कत्ल को अंजाम दे,
और चाहत वहीं,
जो भरी महफ़िल में सलाम दे।
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किताब के सादे पन्ने सी शख्सियत मेरी..
नजरंदाज कर देते हैं अक्सर पढ़ने वाले...।।