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mausam shayari | मौसम शायरी

 mausam shayari|मौसम शायरी


महबूब के बिना हर मौसम उदास सा
लगता है,महबूब हो पास तो हर मौसम
ख़ास सा लगता है.
Mahbub ke bina har mausam
udas sa lagta ha, mahbub ho
pass to har mausam khas sa
lagta ha..
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जाड़ा शायरी

मौसम का कुछ ऐसा खुमार है मन करता
चीख कर कह दू हमको तुमसे बहुत प्यार है.
mausam ka kuch easa khumar
hai man karta chikh ke keh dun
tumse bahut pyar hai..
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रोमांटिक शायरी

रुका हुआ है अज़ब धुप छाँव का मौसम,
गुज़र रहा है कोई दिल से बादलों की तरह.
Ruka hua ha ajab dhup chawn
ka mausam guzar raha hai koi
dil se badalon ki tarha.
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रजाई शायरी

मौसम का रुख बदल रहा है
मेरा मन मचल रहा है
कहता है मेहबूब से मिल ले
अब दिल नहीं संभल रहा है.
mausam ka rukh badal raha ha
mera man machal raha hai
kehta hau mehbub se mil le
ab dil nahi sambhal raha hai.
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मौसम shayari photo

जब तुम यूँ मुस्कुराते हुए आते हो,
तो संग मौसम बाहर का लाते हो.
Jab tum yun muskurate huye aate
ho to sang mausam bahar ka laate ho.
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सावन के मौसम पर शायरी

ये मौसम कितना प्यार है,
खूबसूरत कितना यह नजारा है,
इश्क़ करने का गुनाह हमारा है,
मेरे सीने में धड़कता दिल तुम्हारा है.
Ye mausam kitna pyara hai
khubsurat kitna yah najara hai
ishq karne ka gunah humara ha
mere seene me dhadakta dil
Tumhara hai..
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मौसम पर गजल

वाह मौसम आज तेरी अदा पर
दिल खुश हो गया
याद मुझे आई और बरस तू गया!
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मौसम शायरी रेख़्ता

ये कैसी घटा दिलो
दिमाग पर छाई थी
ऐसा लगा वह मुझसे
वो कुछ कहने आई थी..!
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मौसम पर सुविचार

प्यासे दो दिल बरसो
बाद मिल रहे थे बिना
मौसम के बरसात
तो होनी ही थी..!
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बारिश मौसम शायरी

ये बारिश की बूंदे जब
तेरी जुल्फो को काश यह
नजरे मेरी कही और होती..!
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सर्दी मौसम शायरी

सुना है आज तुम
फिर मुझसे खफा है
जाने कैसे मगर
मौसमो को भी यह पता है..!
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सुहाने मौसम पर शायरी in English

कितना खूबसूरत ये मौसम का नजारा है
फूलो से सजा ये प्रकृति का सुंदर नजारा है.!!
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बदलते मौसम पर शायरी

ये मौसम आज बड़ा ही रंगीन है
ठंडी हवाओं के साथ फूलों का खिलना
जीवन को देता सुकून है.!!
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सुहाने मौसम पर शायरी 2 line

पहले मौसम पे तब्सिरा करना
फिर वो कहना जो दिल के अंदर है
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रोमांटिक मौसम शायरी

खिल ही जाएगी कभी दिल की कली
फूल बरसाता हुआ मौसम चले
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mausam shayari

पेड़ यहाँ कुछ सदा-बहार भी होते हैं
मौसम मौसम तुम भी फूला-फला करो
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मेरे मिज़ाज का मौसम अजीब मौसम है
कि जिस के ग़म ने भी हस्ती को रौनक़ें दी हैं
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मौसम मौसम फैल रही है ख़ुश्बू
दूर से तुझ को आता देख रहा हूँ
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सुहाना मौसम भी बिगड़ जाता है
आँधियों के चलने से
धोखेबाज भी बदल जाते है
धोखेबाजियों के चलने से
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कोई मुझ से पूछ बैठा ‘बदलना’ किस को कहते हैं?
सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ?
“मौसम” की या “अपनों” की!
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जब तुम यूँ मुस्कुराते हुए आते हो,
तो संग मौसम बाहर का लाते हो.
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सतरंगी अरमानों वाले,
सपने दिल में पलते हैं,
आशा और निराशा की,
धुन में रोज मचलते हैं,
बरस-बरस के सावन सोंचे,
प्यास मिटाई दुनिया की,
वो क्या जाने दीवाने तो
सावन में ही जलते है।
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सुहाने मौसम में दिल भी कहीं भटक जाता है
उस गली में ही कहि फिर से दिल अटक जाता है
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कम से कम अपनी जुल्फे तो बाँध लिया करो।
कमबख्त. बेवजह मौसम बदल दिया करते हैं।।

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