सावन बारिश शायरी | sawan baarish shayari
मेरा शहर तो बारिशों का घर ठहरा,
यहां की आँखे हो या दिल बहुत बरसती हैं।
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ब्यूटीफुल बारिश शायरी 2 Line
अब कौन से मौसम से कोई आश लगाये,
बरसात में भी याद ना जब उन को हम आए।
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रिम झिम रिम झिम बरस रही हैं,
याद तुम्हारी कतरा-कतरा।
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मासूम मोहब्बत का बस इतना सा फ़साना है,
कागज की कश्ती और बारिश का ज़माना है।
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एक रोने से तू मिल जाए तो खुदा की कसम,
इस धरती पे सावन की बरसात लगा दूं।
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बूंदों' पर शायरी
पूछते हो ना मुझसे तुम हमेशा की मे कितना प्यार करता हू तुम्हे,
तो गिन लो बरसती हुई इन बूँदो को तुम।
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मेरी महफ़िल में नज़्म की इरशाद अभी बाकी है,
कोई थोड़ा भीगा है, पूरी बरसात अभी बाकी है।
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कुछ तो चाहत होगी इन बूंदों की भी,
वरना कौन छूता है…
इस जमीं को उस आसमान से टूटकर।
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जरा सी भी अदब नहीं हैं इस बारिश में,
कि उस बेवफा की तरह ये भी मुझ पर बरस जाती हैं।
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रिमझिम बारिश शायरी
किस मुँह से इल्ज़ाम लगाएं बारिश की बौछारों पर,
हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी मिट्टी की दीवारों पर।
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सुना है बारिश में दुआ क़बूल होती है
अगर हो इज्जाजत तो मांग लू तुम्हे…?
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सावन शायरी
तेरा बरसना बेशक अचानक था,
जबकि मेरा भीगना कब से तय था।
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बड़ी मुद्दतों से जो हम चाहते थे आज वो ही बात हो गयी,
तुम क्या मिले जो हमें जिंदगी में खुशियों की बरसात हो गयी।
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सावन रोमांटिक शायरी
जमीं को चूमने जो आसमाँ से निकली वो
समां गयी इस कदर की उसका कोई वजूद न रहा।
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सफेदपोश जो बैठे हैं काले धंधे करके
वो डरते हैं कहीं उनके राज न खुल जाएँ,
रोकते हैं वो इस वजह से सच्चाई की बारिश को
कहीं इस बरसात में उनके झूठ न धुल जाएँ
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हमसफर शायरी
सारी शब होती रही अश्कों की बरसात बेइन्तेहाँ
आँखें सूख चुकी थीं सहर होते-होते।
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काली घटाओं ने जब-जब धरती को पानी से भिगाया है,
मेरा बचपन हर बार लौट कर मेरे सामने आया है।
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ब्यूटीफुल बारिश शायरी
अश्कों की बारिश में डूब गया हर अरमान मेरा
जिंदगी के दरिया में अब तैरने कि ख्वाहिश न रही।
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ऋतुओं ने अपना रुख कुछ इस तरह से बदला है
कि आज ये बदल बेमौसम ही बरसा है,
बहुत मुद्दत की दुवाओं के बाद मिले हो तुम
क्या बतायें तुमसे मिलने के लिए
ये दिल कितना तरसा है?
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अमीरों के महल पर तो कोई असर न होगा
डर तो गरीब की झोंपड़ी के बहने का है,
बदल का तो काम है बरसना
सवाल तो उस बरसात में डटे रहने का है।
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मौसम पर शायरी
खिल उठे ये पेड़ और पौधे
छाई चारों ओर हरियाली है,
सावन में पड़ती इस बारिश की
अदा ही बहुत निराली है।
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कश्मकश कुछ इस कदर है जिंदगी में
कि कोई दुआ भी उसे सुलझा न सकी,
दिल में लगी है आग कुछ इस तरह से
आँखों से होती बारिश भी इसे बुझा न सकी।
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सावन पर शेर
कब से दबा रखी है दिल में
काश पूरी ख्वाहिश हो जाए
मिल जाए वो हमें उम्र भर के लिए तो
दिल की इस बंजर धरती पर खुशियों की
बारिश हो जाए।
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सींचता रहा मैं जिस रिश्ते को
प्यार के नीर से
गलतफहमियों की बारिश में
मिट गए वो तकदीर से।