औषधीय पौधे 'वन तुलसी' या 'तुतरलंग' के क्या लाभ हैं?

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औषधीय पौधे 'वन तुलसी' या 'तुतरलंग' के क्या लाभ हैं?

औषधीय पौधे 'वन तुलसी' या 'तुतरलंग' के क्या लाभ हैं?

भारत वनस्पति की विविधता वाला देश है यहां जितनी अधिक वनस्पतियां है, उतनी ही गहराई से आयुर्वेद में इनका महत्व बताया गया है। इन्हीं वनस्पतियों में से एक पौधा है जिसका नाम है– 'वन तुलसी' जिसे कई जगहों में 'तुतरलंग' के नाम से भी जाना जाता है। यह पौधा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि कई प्रकार के औषधीय गुणों से भरपूर है। तो आइए इस ब्लॉग में हम विस्तार से वन तुलसी पौधे के चमत्कारिक गुणों के बारे में जानेंगे।

वन तुलसी की पहचान:

वन तुलसी जिसका वैज्ञानिक नाम Ocimum gratissimum है, यह एक जंगली तुलसी की प्रजाति है। सामान्य तुलसी की तुलना में इसके पौधे की बनावट थोड़ी मोटी होती है और यह झाड़ीदार रूप में उगता है। इसकी गंध बहुत तेज होती है और अधिक औषधीय गुणों से युक्त होती है। 

वन तुलसी के औषधीय गुण:

  1. प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाना: वन तुलसी में  शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं।
  2. सर्दी-खांसी और जुकाम में फायदेमंद: खांसी, सर्दी, जुकाम और वायरल संक्रमण में इसके पत्तों को पीसकर इसका काढ़ा बनाकर पीने से काफी आराम मिलता है।
  3. तनाव और चिंता में राहत: वन तुलसी का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक तनाव कम होता है।
  4. त्वचा संबंधित रोगों में उपयोगी: फोड़े-फुंसी, एक्जिमा और त्वचा संक्रमण पर इसके पत्तों का पेस्ट बनाकर लगाने से आराम मिलता है।
  5. पाचन तंत्र सुधारना: वन तुलसी के सेवन से पाचन तंत्र में सुधार होता है जिस से भूख बढ़ती है, अपच और गैस की समस्या दूर होती है।
  6. मधुमेह (डायबिटीज) में सहायक: यह रक्त में शुगर लेवल को नियंत्रित करने में अत्यंत लाभकारी है।
  7. ब्लड प्रेशर नियंत्रण में मददगार: वन तुलसी के सेवन से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

वन तुलसी का उपयोग कैसे करें:

  • काढ़ा बनाकर: इसके पत्तों को पानी में उबाल ले फिर उसमें अदरक और हल्दी मिलाकर काढ़े के रूप में इसका सेवन किया जा सकता है।
  • चाय में मिलाकर: इसकी पतियों को चाय में मिलाकर भी इसका सेवन कर सकते है।
  • पत्तों का रस निकालकर: इसके पत्तों का रस के रूप में भी सेवन कर सकते है। 5-10 मिली रस का नियमित सेवन लाभकारी होता है।
  • त्वचा पर पेस्ट लगाकर: त्वचा संबंधी रोगों में इसके पत्तों का पेस्ट बनाकर सीधे लगाएं।

वन तुलसी उगाने की विधि:

  • इसे गमले में या खेत में आसानी से उगा सकते हैं।
  • यह अधिक धूप और कम पानी की आवश्यकता वाला पौधा है।
  • इसके बीजों को पहले अंकुरित कर ले फिर किसी गमले में या सीधे मिट्टी में रोपण करना होता है।

आयुर्वेद में वन तुलसी:

आयुर्वेद में वन तुलसी को 'हृदयबल', 'कफहारी', 'विषघ्न' और 'शीतहर' माना गया है। शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बनाए रखने में इसका बहुत योगदान है।

वैज्ञानिक शोध क्या कहते हैं:

  • वैज्ञानिक शोधों में यह सिद्ध हुआ है कि वन तुलसी में कैंसर, सूजन और संक्रमण को कम करने वाले यौगिक जैसे Eugenol, Caryophyllene, और Ursolic Acid आदि होते है।
  • इंटरनेशनल जर्नल्स में प्रमाणित किया गया है कि इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अत्यधिक है।

सावधानियाँ:

  • डॉक्टर की सलाह के बिना गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • इसका अत्यधिक मात्रा में सेवन न करे, ज्यादा सेवन करने से उल्टी या दस्त जैसी समस्याएं हो सकती है।

निष्कर्ष:

वन तुलसी एक प्राकृतिक औषधालय है। हम अनेक स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए इसे अपने दैनिक जीवन में शामिल कर सकते है।यह शरीर को स्वस्थ रखने के साथ साथ मानसिक संतुलन भी बनाए रखती है। अतः प्राकृतिक रूप से इस पौधे का औषधि के रूप में उपयोग करके हम इसके चमत्कारिक फायदे उठा सकते है।


अगर आप प्राकृतिक चिकित्सा या आयुर्वेद में रुचि रखते हैं तो वन तुलसी को अपने जीवन में अवश्य अपनाएं।

चेतावनी: यह जानकारी केवल शैक्षणिक उद्देश्य से दी गई है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या में विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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