शानदार दो लाइन शायरी | shandar do line shayri
एक बेनाम सी मुहब्बत, 
मैंने किसी गुमनाम के नाम कर दी! "
"आपकी यादें इतनी गहरी हो गई है हमारी जहनों में 
की एक जन्म काफी ना होगा इसे मिटाने में !"
तहलका 2 line शायरी
"तेरी आदत मुझे एक दिन में ऐसी लगी 
कि सालों के रिश्ते मैं भूल गया."
उसकी हंसी के लिए तो हम जान दे दे अपनी बस शर्त है, 
उनके आँखों में आंसू नहीं आना चाहिए।"
शानदार दो लाइन शायरी Attitude
"वो बोलके अपनी ही बातें भूल जाते है 
और हम पागल उनकी हर बात को सीरियस लेते है।"
"दिल को संभाल के रखा था सालो से, 
पता भी नहीं चला कब चोरी हो गया।"
शानदार दो लाइन शायरी Love
"तुमसे जब मिलता हूँ 
तो वक्त और दिल की धरकन 
दोनों तेजी से चलने लगती है I"
"लोगों की नियत तो इबादत में भी साफ़ नहीं होती, 
मैं मुहब्बत में कुछ ज्यादा ही उम्मीद कर रहा था I"
हार्ट टचिंग 2 लाइन शायरी
सबको उम्मीदें थी पर भरोसा बस तूने किया, 
इसलिए शायद प्यार मुझे तुमसे हुआ।"
मौत आ जाये,
पर जो नसीब में ना हो 
उसपे दिल कभी ना आये।
जीवन दो लाइन शायरी
हर इक बात पर यूँ शिकायत न होती
अगर हमको तुमसे मुहब्बत न होती
मेरी इबादत तेरे रूबरू होने की मोहताज नहीं..
हम तो ख्वाबों में भी तुम्हारे सजदे कर लेते है.....
बेहतरीन लाइन
यह साँसों की रवानी तुम्हारी ही रहेंगी 
जब तक धड़कता है दिल मोहब्बत तुम्हारी ही रहेंगी..... 
वो सांस है तु धड़कन है।
एक मेरे पास नहीं यही अड़चन है..... 
खूबसूरत दो लाइन शायरी Sad
वही जिद,वही हसरत,ना दर्द ए दिल मैं कमी हुई
अजीब है मोहब्बत मेरी ना मिल सकी न खत्म हुई....
माँ की आँखों में देखा तो एहसास हुआ 
खुदा उन्हें मुझसे बेहतर औलाद देता..
Shayri in Hindi
जरूरत पड़ने पर बहाना और बुरे वक्त में ताना 
कोई कितना भी अपना हो अक्सर मार ही देता है.....
हक़ीकत से सामना हुआ तो 
पता चला लोग सिर्फ बातो से अपने थे....
2 लाइन शायरी हिंदी
दीदार की तलब हो तो नज़रे जमाये रख,,
क्यूँकि नक़ाब हो या नसीब सरकता जरुर है.....
ऐ गुजरे हुए बचपन तू एक बार फिर लौट आ 
अब जवानी की जिम्मेदारियां सुकून से जीने नही देती 
एक लाइन शायरी
नफरतों का रोगी है ये दुनिया 
दवा इसकी मोहब्बत के सिवा कुछ नहीं 
विश्वास इश्क का फरिश्ता है 
जब उड़ जाता है लोग बेचैन हो जाते है 
दो लाइन शायरी लव रोमांटिक
ये हुस्न की अदाओं से मोहब्बत का खेल ना खेलिये हमसे 
देखा है सैकड़ो दिलों को टूटते हुए हमने भी 
टूटते हुए पत्ते ने मुझे समझाया 
जब बोझ बन जाओ 
तो अपने ही नीचे गिरा देते है 
जा रहे है तेरा शहर छोड़ के यारों
अब तुम बिन तेरी गलियों में वो सुकून कहां 
वक्त ने हर दर्द महसूस कराया है हमे 
कभी अपनो से बिछड़ा के 
तो कभी अपने को बिखरा के 
ज़िंदगी तकलीफे देने लगी है तुम को !
लग रहा तुम भी जल्द ही टूटे हुए हो
अफवाहों से बच के रहना तुम भी सुना है !
अपनो की बाते गैरो की जुबान से अच्छी नहीं लगती 
एक पहली मोहब्बत हो एक सच्ची होती है 
बिना स्वाद की 
बाकी तो जिस्म की चाह होती है
अब तो यादें भी नही आती उसकी 
याद कर के उसे क्यों सताऊं
बड़े दिन बाद लेखनी उठी है साहब
अब हिसाब किसी के दिल और किसी के तकदीर का होगा 
चटनी रोटी भी मंहगी लगने लगती हो साहब 
जब कमाई अपने मेहनत की हो 
