पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के 21 उपाय और इसके फायदे
पाचन तंत्र में दो तरह के बैक्टीरिया होते हैं पहला अच्छा व दूसरा खराब बैक्टीरिया। जब हम एंटीबायोटिक दवा लेते हैं तो हमारे शरीर में अच्छे बैक्टीरिया की कमी होने लगती है और यदि हम उसके बाद में प्रोबायोटिक चीजों का सेवन करते हैं तो यह पाचन तंत्र के लिए काफी नुकसानदायक होता है जिसके कारण पाचन तंत्र में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती हैं। पाचन तंत्र के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक में करोड़ों की संख्या में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो खराब बैक्टीरिया से लड़ते हैं और उन से होने वाले नुकसान को भी कम करते हैं। प्रोबायोटिक फूड आंतों में नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया के संख्या को कम करते हैं और अच्छे बैक्टीरिया की संख्या भी बढ़ाते हैं।
बैक्टीरिया का बैलेंस
प्रोबायोटिक युक्त चीजें खाने से आंतों में गुड व बैड बैक्टीरिया का संतुलन बना रहता है। कुछ एंटीबायोटिक दवाई और दूषित भोजन खाने से हमारे पाचन तंत्र में अच्छे बैक्टीरिया की कमी हो जाती है। खाना पूरा पचता नहीं है । आंतों में छाले, आईबीएस ( इरिटेबल बाउल सिंड्रोम ), मोटापा जैसी समस्याएं बढ़ जाती है।
मजबूत पाचन तंत्र के लिए प्रोबायोटिक्स के फायदे
- प्रोबायोटिक्स से पाचन तंत्र मजबूत बनता है जिससे एसिडिटी, पेट दर्द, कब्ज, जलन, अपच जैसी समस्याओं को दूर रखता है ।
- प्रोबायोटिक्स आईबीएस (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम) में मदद करता है।
- प्रोबायोटिक्स हमारे शरीर के वजन को कम करने में भी सहायक है ।
- प्रोबायोटिक्स डिप्रेशन को दूर करने में भी सहायता करता है।
- प्रोबायोटिक्स पाचन तंत्र की कार्य प्रणाली को मजबूत बनाता है जिससे हमारे शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल को घटाने में मदद मिलती है। ब्लड प्रेशर भी कम करता है।
- प्रोबायोटिक्स हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है। साथ ही यह सर्दी, जुखाम व संक्रमण से भी बचाव करता है।
क्या कहती है शोध रिपोर्ट
नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट की रिसर्च में पाया गया कि एंटीबायोटिक दवाओं से हमारे शरीर को दस्त की समस्या हो सकती है। दस्त को दूर करने के लिए प्रोबायोटिक चीजें उपयोगी होती है। इनका प्रभाव इनकी एक निश्चित मात्रा पर निर्भर करते हैं । लेक्टोज के कारण हमारे शरीर में उत्पन्न अपच की समस्या में यह कारगर है। इससे डायबिटीज की आशंका काफी हद तक कम होती है। अच्छे बैक्टीरिया ग्लूकोज को नियंत्रित करते हैं। मरीजों को प्रोबायोटिक चीजों के प्रयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
प्रीबायोटिक्स क्या है
प्रीबायोटिक्स एक प्रकार के फाइबर होते हैं जो अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं और आंतोंं मे होने वाले नुकसान को रोकते हैं। ज्यादा प्रोबायोटिक्स लेने पर समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
प्रोबायोटिक्स के प्रमुख स्रोत
यह बींस, मटर की फली, लहसुन,प्याज,बेरीज,केला में काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है । प्रोबायोटिक्स लेने के शुरुआती दो-तीन दिन पेट के नीचे वाले हिस्से में हल्का दर्द हो सकता है। हो सकता है शुरुआत में इसे लेने से पाचन बिगड़ भी जाए।
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