स्वस्थ दातों के लिए खानपान का तरीका भी सही हो

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स्वस्थ दातों के लिए खानपान का तरीका भी सही हो

संतुलित आहार हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य और मौखिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। कम लोग जानते हैं कि खान-पान का सबसे पहला असर हमारे दांतों पर होता है। हर तरह का भोजन (ठोस या तरल) सबसे पहले दांतों और मुंह के उत्तकों के संपर्क में आता है। उसके बाद ही वह शरीर में अवशोषित होता है। यह जानना जरूरी है कि हम क्या, कितना और कैसा भोजन करें, जो दांतों को सड़ने व उसके क्षरण से बचाये और हमें सुंदर मुस्कुराहट के साथ जीने में मदद करें।

मीठे से बचें : दांतों की सड़न का सीधा संबंध मीठे कार्बोहाइड्रेट से होता है। शर्करा दांतों के इनामेल पर चिपकी रहती है और मुंह के जॉर्मल पीएच को बिगाड़ कर एसिडिटीक बना देती है। एसिड इनामेल के क्षारीय तत्वों अम्लीय को गला देती (अम्ल) है। शर्करा का मतलब शक्कर ही नहीं होता। यहां बता दें कि कार्बोहाइड्रेट युक्त बहुत सारे भोज्य पदार्थ शर्करा यानी ग्लूकोज उत्पन्न करते हैं, जैसे- गेहूं और गेहूं से बने भोज्य पदार्थ, सोडा कार्बोनेटेड तरल पदार्थ, फलों का रस, पैकेज्ड और प्रोसेस्ड भोज्य पदार्थ आदि।

चिपचिपे भोजन से बचे : पिनखजूर, मधू, कैरेमेल, ब्रेड, आलू चिप्स, चॉकलेट, कैंडी आदि चिपचिपे पदार्थ का सेवन मुंह के पीएच को बिगाड़ता है और इनामेल गलाकर दांतों में सड़न पैदा करता है। अतः विशेषकर अपने बच्चों को इन चीजों से दूर रखें। उन्हें प्यार से समझाएं, ताकि वे इन्हें खाने की जिद न करें।

एसिडिक पदार्थों का सेवन : संतरे, मौसमी, नींबू, अचार या विनेगर वगैरह का जरूरत से ज्यादा सेवन दांतों की ऊपरी तथा अंदरूनी परतों को हानि पहुंचाता है। खाली पेट सीधे नींबू पानी या जूस पीने से मुंह का पीएच तो घटता ही है, साथ ही साथ पेट में भी एसिड बढ़ जाता है। एसिडिटी पदार्थों को पानी मिला कर लेना चाहिए। कॉपी, चाय कार्बोनेटेड पेय पदार्थ के तुरंत बाद कुल्ला करें।

भोजन में एंटी-ऑक्सीडेंट की मात्रा बढ़ाएं : यदि भोजन में हरी साग-सब्जियां, फल, साबुत अनाज वगैरह को शामिल किये जायें, तो शरीर से सारे जहरीले केमिकल्स जैसे नाइट्रिक ऑक्साइड वगैरह उत्सर्जित हो जाते हैं। टमाटर, ग्रीन टी, अखरोट, जीरा अजवाइन, सौंफ इत्यादि में एंटी ऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ये पदार्थ न सिर्फ मुंह को हाइजीन रखते हैं, बल्कि पूरे शरीर की अशुद्धियों को दूर कर कोशिका एवं उत्तकों में नयी ऊर्जा भर देते हैं।

गुड फैटी एसिड : ओमेगा 3 फैटी एसिड और हेल्दी फैट्स (जिनमें ट्रांस फैट नहीं होता) जैसे ऑलिव ऑयल, वर्जिन कोकोनट ऑयल, एकोकाडो, फिश लिवर कॉड ऑयल, सोलोमन मछली और सी फूड्स, अखरोट, बादाम आदि शरीर से अशुद्धियां निकालकर फिर से ताजगी प्रदान करते हैं। शरीर के उत्तक ज्यादा सक्रिय होते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

हाई कैल्शियम भोज्य पदार्थ : एफडीए के द्वारा प्रतिदिन एक व्यस्क को 1000-1300 एमजी कैल्शियम लेना चाहिए। दूध के अतिरिक्त गाय का देसी घी, दही, घर बना मक्खन, पनीर का सेवन शरीर में कैल्शियम की उचित मात्रा बनाये रख सकते हैं। बींस, बादाम, अखरोट, पालक आदि भी कैल्शियम की कमी पूरा करते हैं। अंडा, मछली में भी कैल्शियम की काफी मात्रा होती है।

विटामिन सी एवं डी : चाहे हम लोग संतुलितत आहार ले रहे हों, मगर उचित मात्रा में विटामिन शरीर में न रहे, तो मिनरल्स, कैल्शियम, सोडियम, पोटैशियम वगैरह शरीर के उत्तकों में अवशोषित नहीं हो पाते, बल्कि उत्सर्जित हो जाते हैं। विटामिन सी के लिए साइट्रिक एसिड वाले फल, गाजर, टमाटर आदि का सेवन करना चाहिए। सुबह की हल्की धूप में घूमने से शरीर में विटामिन डी की पूर्ति हो जाती हैं।

जल ही जीवन है : प्रतिदिन तीन-चार लीटर पानी पीने से हमारे शरीर के टॉक्सिन्स अच्छी तरह से उत्सर्जित हो जाते हैं। दिन के पहले पहर में गुनगुने पानी के सेवन से शरीर को और मुंह को रात भर के एसिड से राहत मिलती है। इसके अलावा झारखंड के पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने से हमारे दांतों को आसानी से उचित मात्रा में फ्लोराइड प्राप्त हो जाता है। इनके अलावा उचित मात्रा में प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स, टंग स्क्रैपर का इस्तेमाल, सही समय अंतराल पर भोजन करना, दो मिनट तक ब्रशिंग (सुबह-शाम) से मुख का स्वास्थ्य बना रहता है। अल्ट्रा वाइट टूथपेस्ट या मेडिकेटेट टूथपेस्ट, माउथवॉश का उपयोग विशेषज्ञ की सलाह लिये बगैर करने से बचना चाहिए।

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