क्रोन (क्रोहन) रोग के कारण, लक्षण, इलाज, दवा, उपचार और जाँच

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क्रोन (क्रोहन) रोग के कारण, लक्षण, इलाज, दवा, उपचार और जाँच 

क्रोन (क्रोहन) रोग पुरुषों और महिलाओं में से किसी को भी हो सकता है, यह पेट व उसके अंदरुनी अंगों को प्रभावित करने वाला गंभीर रोग है, जिसमें पेट में सूजन व लालिमा, डायरिया (दस्त), पेट में ऐंठन और गंभीर दर्द जैसी समस्याएं होने लगती है। पेट में दर्द इतना तीव्र होता है कि जान पर बन आती है। रोग के कारण आंतें संकरी हो जाती हैं, जिस कारण पूरा पाचन तंत्र प्रभावित हो जाता है। शरीर को भोजन से मिलने वाले पौष्टिक तत्व और ऊर्जा पूरी तरह नहीं प्राप्त हो पाते। मरीज में एक साथ अल्सर, बवासीर, फिस्टुला आदि कई लक्षण दिखाई देते हैं। अगर लंबे समय तक रोग का उचित इलाज न हो, तो आंतों में छेद हो सकता है या फिर आंतों का कैंसर भी हो सकता है. इसलिए यह खतरनाक बीमारी मानी जाती है,

क्रोन रोग के कारण :
क्रोन रोग का सटीक कारण अब तक अज्ञात है।  माना जाता है कि वायरस या बैक्टीरिया क्रोन रोग को ट्रिगर कर सकता है। जब प्रतिरक्षा प्रणाली इन आक्रमणकारी सूक्ष्म जीवों से लड़ने की कोशिश करती है, तो यह पाचन तंत्र में कोशिकाओं पर हमला कर बीमारी को उत्पन्न करने का कारण बन सकती है। यह अनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है। परिवार में पहले किसी सदस्य को यह बीमारी होने पर अन्य में इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। अमूमन 13 से 30 की उम्र में यह होता है तथा बच्चों के मामले में उनके शारीरिक विकास को बाधित करता है।
पिछले वर्ष पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को अचानक पेट दर्द होने पर राम मनोहर लोहिया अस्पताल, दिल्ली में भर्ती कराया गया था, जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि वे लंबे समय से क्रोन रोग से ग्रस्त हैं।

क्रोन रोग का इलाज :
अब तक इसका उचित इलाज नहीं, लेकिन उपचार प्रक्रिया द्वारा इसके लक्षणों को बहुत कम किया जा सकता है। जांच रिपोर्ट के अनुसार ही इलाज तय होता है। इसमें मुख्य रूप से दवाएं व कुछ सर्जरी प्रक्रियाएं शामिल हैं, जिनकी मदद से क्रोन रोग के लक्षणों को कम किया जाता है।  मुख्य रूप से एंटी-इन्फ्लेमेंटरी (सूजन व लालिमा को कम करने वाली) और इम्युनोस्पेप्रेसेंट (प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने वाली) दवाएं उपयोग की जाती हैं, जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉइड और एंटीबायोटिक्स दवाएं दी जाती हैं। अधिक जटिल होने पर डॉक्टर सर्जरी द्वारा क्रोन रोग से ग्रसित आंत के हिस्से को निकाल सकते हैं। हालांकि सर्जरी क्रोन रोग का संपूर्ण समाधान नहीं है, क्योंकि इसके बाद भी आंत के हिस्से में सूजन व लालिमा फिर से आने लगती है। यहां तक कि कुछ मरीजों को तो एक से अधिक बार भी सर्जरी करवाने की जरूरत पड़ सकती है। इसकी दवा जीवनकाल तक चल सकती है।

कैप्सूल एंडोस्कोपी:
कैप्सूल एंडोस्कोपी आधुनिक जांच तकनीक है, जिसका प्रयोग आंतों के परीक्षण में होता है। यह मामूली कैप्सूल से अधिक बड़ी होती है। इसे खाने के बाद कैप्सूल पेट के अंदर छोटी आंत, बड़ी आंत, कोलन सहित सभी हिस्सों में घूमता है और तस्वीरें लेता है।  डॉक्टर इन तस्वीरों की जांच करते हैं।  कुछ समय बाद कैप्सूल मल के जरिये बाहर निकल जाता है।

क्रोन रोग की जांच
क्रोन रोग की जांच के लिए मरीज का एक्स-रे, एडोस्कोपी और कोलोनोस्कोपी की जाती है। कोलोनोस्कोपी की प्रकिया में मरीज की बड़ी आत में गुदा के रास्ते एक लंबी और लचीली ट्यूब डाली जाती है, इस ट्यूब को कोलोनोस्कोप कहा जाता है। इस ट्यूब के अगले सिरे पर एक छोटा-सा कैमरा लगा होता है, जिसकी मदद से डॉक्टर गुदा के अंदर देख पाते हैं। कोलोनोस्कोपी के दौरान ऊतकों के सेंपल लिये जाते हैं। इन सेंपल को लेबोरेटरी में टेस्टिंग के लिए भेजा जाता है। क्रोन रोग के कारण कई मामलों में आत में छेद होने पर ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है।

क्रोन रोग के लक्षण

  • पेट दर्द, पेट फूलना, डायरिया.
  • जी मिचलाना या उल्टी आना.
  • थकान और सुस्ती.
  • बुखार आना, भूख न लगना.
  • गुदा द्वार से खून निकलना.
  • मुंह में छाले होना.
  • पाचन क्षमता घटना.
  • तेजी से वजन कम होना.
  • बवासीर और मल त्याग में तेज दर्द.

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