पेट की समस्याओ को दूर रखते है अंकुरित अनाज, इसके फायदे
अनाज अंकुरित हो जाने के बाद पहले से अधिक पौष्टिक हो जाते हैं। इन्हें खाकर न सिर्फ वजन कम किया जा सकता है, बल्कि ये डायबिटीज रोगियों के लिए भी बेहतर आहार हैं। चाहे दाल हो या अन्य मोटे अनाज, उनका अंकुरित रूप हमेशा स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है। अंकुरित अवस्था में ये अधिक स्वास्थ्यवर्धक होते हैं।अंकुरित अनाज खाना आसान तो है ही, साथ ही इसमें प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं।
पोषक तत्वों से भरपूर
अंकुरण से वे छोटे पौधों में बदल जाते हैं। इसी कारण से उनमें विटामिन बी, सी और कैरोटिन अधिक होते हैं। ये शरीर में पोषक तत्वों को अच्छी तरह एब्जॉर्ब करने में सहायक होते हैं। अंकुरित बीज में प्रोटीन अधिक होता है और स्टार्च कम होता है।
पचने में आसान
कई लोगों को दाल नहीं पचती है। अंकुरण के बाद उन्हें पचाना आसान हो जाता है। अंकुरण के बाद कुछ ऐसे एंजाइम आ जाते हैं जो पाचन में मदद करते हैं। ये हार्मोनल बैलेंस को भी बना कर रखते हैं। अंकुरण के कारण एंटीन्यूट्रिएंट्स कम हो जाते हैं जैसे दालों में पाया जाने वाले फाइलेट कम हो जाती है। यह अपच का कारण है। स्वास्थ्य को सही बनाये रखने के लिए शरीर को संतुलित मात्र में एसिडिक और अल्कलाइन फूड की जरूरत पड़ती है। दाल और अन्य अनाज सामान्य रूप से एसिडिक नेचर के होते हैं, इन्हें बैलेंस करने के लिए फलों और सब्जियों का सहारा लेना पड़ता है । दालों और अनाजों को अंकुरित कर देने से इनका नेचर अल्कलाइन हो जाता है । इन्हें खाने से भी शरीर बैलेंस हो जाता है।
दालों और अनाज को खाने से गैस बनती है। इसका मुख्य कारण ओलिगोसेकेराइड होते हैं। अंकुरण के कारण इनमें इसकी मात्रा काफी कम हो जाती है। इसके कारण गैस की समस्या समाप्त हो जाती है।
वजन कम करने में उपयोगी
अनाज को अंकुरित कर देने से इसमें फैट की मात्रा कम हो जाती है। अंकुरित बीन्स में फाइबर की मात्रा काफी अधिक होती है, जो वजन घटाने में सहायक है। इनमें कैलोरी भी काफी कम होती है। एक कप अंकुरित अनाज में मात्र 40-50 कैलोरी होती है। इनमें प्रोटीन की मात्रा भी भरपूर होती है, जिसे वर्कआउट के बाद लेना सेहत के लिए बेहतर फूड है। गर्मियों में तो पेट के लिए यह उत्तम आहार है।
ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है कम
किसी फूड का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बताता है कि इसका शरीर के ब्लड शुगर लेवल पर क्या प्रभाव पड़ेगा। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड को खाने से ब्लड शुगर सामान्य बना रहता है।
टाइप 2 डायबिटीज और हृदय रोगों के होने का खतरा कम रहता है। अंकुरित दाल और अंकुरित बीन्स का ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी कम होता है। अतः ये शूगर मरीजों के लिए उत्तम आहार है।
कैसे करें अंकुरित
साबूत मूंग को अंकुर बनाने के लिए साफ कर धो लें। 6-8 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। मूंग को दोबारा धोकर छान लें। गीले सूती कपड़े में लपेटकर 10-12 घंटे के लिए लटका दें। सूखने पर पानी छिड़कते हैं। छोटे अंकुर आने पर यह तैयार है। इसे फ्रिज में रखने के बाद भी ये बढ़ते रहेंगे। इसमें विटामिन की मात्रा भी बढ़ती रहेगी। अन्य अनाज को भी इसी प्रकार अंकुरित करें।
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