गाय के पंचगव्य में छुपा है स्वास्थ्य और सेहत का राज
वेदों और पुराणों में गाय को मां का दर्जा यू ही नहीं दिया गया है। चरक जैसे आयुर्वेदाचार्य ने गाय को स रोग का उपचार करने में सक्षम माना है। चरक संहिता में पंचगव्य यानी गाय का दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर से कई रोगों के इलाज के बारे में बताया है। गाय का दूध, दही और घी शरीर को मजबूती देता है। वहीं गोबर व गोमूत्र शरीर के शुद्धीकरण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।ये पांचों चीजें ना सिर्फ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं, बल्कि खुजली, दाद, पेट दर्द, कब्ज और बवासीर जैसे रोगों का इलाज भी करती है। कई शोधों में गोबर और दही को कैंसर जैसे रोगों के इलाज में उपयोगी माना है। आइए जानते हैं इनके अन्य फायदों के बारे
इसका रखें ध्यान
गोमूत्र और गोबर का रस ताजा ही ले। बीमार गाय के गोमूत्र को इलाज में बिल्कुल न ले। देसी गाय का पंचगव्य सर्वश्रेष्ठ है। बछिया का पंचगव्य अछा माना जाता है। गोमूत्र और गोबर का उपयोग में लेने से पहले सूती कपड़े में 7-8 बार छान लें।
पंचगव्य के फायदे
ये पांचों चीजें ना सिर्फ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं, बल्कि खुजली, दाद, पेट दर्द, कब्ज और बवासीर जैसे रोगों का इलाज भी करती हैं। कई शोधों में गोबर और दही को कैंसर जैसे रोगों के इलाज में उपयोगी माना है। आइए जानते हैं इनके अन्य फायदों के बारे में।
दूध के हैं ढेरों फायदे
यह ऐसे रसायन का काम करता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ शरीर को ताकतवर बनाते हैं। छह महीने से 10 साल की उम्र तक के बच्चों को गाय का दूध पिलाने से वे एक्टिव रहते हैं और उनका वजन नहीं बढ़ता। भैंस के दूध की बजाय गाय का दूध बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अच्छा होता है। गाय के दूध में प्रोटीन होता है जो हड्डियों और मांसपेशियों का विकास करता है। गर्भवती महिलाओं को कब्ज की समस्या रहती है इसलिए गाय का दूध उनके लिए फायदेमंद होता है। हल्का होने के साथ-साथ यह पाचन में भी सहायता करता है। गाय के दूध में पाए जाने वाले तच जैसे साइटोकिस रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं।
गोमूत्र है शुद्धि का जरिया
यह विषैले पदार्थों को निकालकर शरीर की सफाई करता है। सूती कपड़े में 7-8 बार छने गोमूत्र को खाली पेट ले सकते हैं। डकार आने और जी मिचलाने में भी गोमूत्र लिया जा सकता है। इसके अलावा यह कब्ज, हृदय रोग, डायबिटीज और मोटापा कम करने में भी सहायक है। सोरायसिस स्किन प्रॉब्लम होने पर गोमूत्र से स्नान किया जाता है।
दही है गुणकारी
गाय के दूध से बना दही खाने से पाचन तंत्र ठीक रहता है और शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है। इसमें खाना पचाने वाले जीवाणु होते हैं जो भूख बढ़ाते हैं। दस्त होने पर दही खाने से आराम मिलता है। गाय के दूध से बने दही पर कई शोध हो चुके हैं जिनके अनुसार कई गंभीर रोगों को मिटाने में दही कारगर होता है।
घी के फायदे अनेक
गाय के घी में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम रहती है इसलिए इससे वजन नहीं बढ़ता। सर्दी-जुकाम व पेट की समस्या होने पर गाय का घी प्रयोग करने से फायदा होता है। दो से तीन चम्मच गाय का घी गर्म करें। इसमें एक चुटकी काली मिर्च का चूर्ण मिला ले। इसे रोटी के साथ खाएं। जुकाम में राहत मिलेगी। आयुर्वेद में गाय के घी से नेत्र रोगों का भी इलाज किया जाता है। आंखों में जलन हो तो गाय के घी को काजल की तरह लगाना चाहिए। पैरों के तलवों में जलन होने पर गाय के घी से मालिश करने जलन खत्म हो जाती है।
गोबर है बेहद लाभकारी
शरीर में मौजूद गंदगी को बाहर निकालता है। अगर शरीर में दाद, खुजली या अन्य कोई त्वचा समस्या हो तो गोबर लेप चिकित्सा की जाती है। त्वचा में अगर गांठ या दाने हो रहे हो ते गोबर को गांठ पर आधा घंटे लगाया जाता है। 15-20 दिनों में समस्या कम होती है। पेट के कीड़े खत्म करने के लिए गोबर का रस 2-3 चम्मच लिया जा सकता है।
सुझाव
पॉलीथिन के कचरे से ना सिर्फ गाय को परेशानी होती है बल्कि उससे हमारे शरीर को भी नुकसान होता है। पॉलिथिन के खतरनाक टॉक्सिन्स गाय के शरीर में जाते हैं जिससे गाय के दूध में भी जहरीले तत्व आ जाते हैं। पॉलीथिन गाय की पेट की थैलियों में जमा हो जाता है। इससे गाय को भूख कम लगती है और दूध का उत्पादन भी कम हो जाता है। कई दिनों तक गाय कुछ नहीं खाती है और उसकी असमय मौत हो जाती है। इसलिए पॉलिथिन को इधर उधर नहीं बल्कि कूड़ेदान में ही फेंकें। (यहां बताए गए किसी भी चिकित्सीय प्रयोग को विशेषज्ञ की सलाह से ही प्रयोग में लाए)
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