वाकिंग मेडिटेशन अवसाद दूर कर नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है
वॉकिंग मेडिटेशन की शुरुआत बौद्ध धर्म में हुई है। इसे एक ध्यान अभ्यास के रूप में किया जाता है। इसके कई लाभ है जो जमीन से जुड़ाव, अधिक संतुलित और निर्मल महसूस करने में मदद करता है।क्या है वॉकिंग मेडिटेशन
वॉकिंग मेडिटेशन को गभन योग भी कहते हैं। कंसन्ट्रेशन में वृद्धि होता है। दीर्घ श्वास लेकर करने से शरीर में रक्त के साथ ऑक्सीजन का फ्लो तेज होता है। इससे मानसिक शांति मिलती है। शरीर की समस्त क्रियाओं की कार्यक्षमता में बढ़ोत्तरी होती है। रिदमिक तरीके से करने पर आंनद की अनुभूति होती है। चलते समय पांव के अंगूठे पर दबाव देने से सिरदर्द, इन्सोमनिया, नींद न आने पर मस्तिष्क को आराम मिलता है। लयबद्ध, गहरा और रिदमिक श्वांस इसके तीन प्रमुख भाग हैं।
इसकी प्रैक्टिस से शरीर में रक्त का परिसंचरण बढ़ने से ऊर्जा का स्तर बढ़ जाता है। एक अध्ययन के अनुसार इसके अभ्यास से टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में ब्लड शुगर के स्तर और सरकुलेशन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अवसाद कम करता है
यदि आप तनाव कम करना चाहते है तो वॉकिंग मेडिटेशन उपयोगी हो सकता है। युवा वयस्कों पर 2017 के एक अध्ययन से पता चला है कि पैदल चलने को यदि ध्यान के साथ जोड़ लें तो यह हमारी चिंता के लक्षणों को कम करने में अधिक प्रभावी होता है। 2014 के एक अध्ययन के अनुसार 3 महीने के लिए सप्ताह में 3 बार पैदल चलने वालों में अवसाद के लक्षण कम थे।
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