अपने बीपी का रखें सही तरीके से ख्याल
हर व्यक्ति का ब्लड प्रेशर दिनभर बदलता रहता है, कोई एक ऐसा आंकड़ा नहीं है, जिसे परफेक्ट कहा जाये। जो किसी एक व्यक्ति के लिए कम होगा, वह दूसरे के लिए सामान्य हो सकता है, लेकिन रक्त दाब का अत्यंत कम या अधिक होना दोनों ही घातक हैं।
हृदय जितना ज्यादा रक्त पंप करेगा और धमनियां जितनी संकरी होंगी, बीपी उतना ही ज्यादा होगा। रक्तदाब कम होने से ऑक्सीजन और पोषक तत्व के उत्तकों तक नहीं पहुंचने में परेशानी होती है।
वैसे तो उम्र के साथ बीपी का बढ़ना एक सामान्य समस्या है। लेकिन एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसे नियंत्रण में रखकर कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर : हाइपर टेंशन या हाई ब्लड प्रेशर में धमनियों में रक्त दाब बढ़ जाता है। इससे हृदय को रक्त नलिकाओं में रक्त के संचरण के लिए सामान्य से अधिक परिश्रम करना पड़ता है। हाइपर टेंशन हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, किडनी और हृदय रोगों का खतरा बढ़ा देता है। बीपी में थोड़ी-सी भी बढ़ोतरी जीवनकाल को कम कर देती है। हाइपरटेंशन का पता अक्सर देर से चलता है, यही कारण है कि डॉक्टर उसे साइलेंट किलर कहते हैं।
लो ब्लड प्रेशर : लो ब्लड प्रेशर (90/60) को मेडिकल टर्म में हाइपरटेंशन कहते हैं। वैसे लो बीपी अपने आपमें कोई बीमारी नहीं, लेकिन यह शरीर में पल रही किसी गंभीर बीमारी जैसे हृदय रोग, तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। गंभीर लो ब्लड प्रेशर ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को मस्तिष्क तक पहुंचने से रोकता है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
शारीरिक सक्रियता बढ़ाएंहृदय जितना ज्यादा रक्त पंप करेगा और धमनियां जितनी संकरी होंगी, बीपी उतना ही ज्यादा होगा। रक्तदाब कम होने से ऑक्सीजन और पोषक तत्व के उत्तकों तक नहीं पहुंचने में परेशानी होती है।
वैसे तो उम्र के साथ बीपी का बढ़ना एक सामान्य समस्या है। लेकिन एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसे नियंत्रण में रखकर कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर : हाइपर टेंशन या हाई ब्लड प्रेशर में धमनियों में रक्त दाब बढ़ जाता है। इससे हृदय को रक्त नलिकाओं में रक्त के संचरण के लिए सामान्य से अधिक परिश्रम करना पड़ता है। हाइपर टेंशन हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, किडनी और हृदय रोगों का खतरा बढ़ा देता है। बीपी में थोड़ी-सी भी बढ़ोतरी जीवनकाल को कम कर देती है। हाइपरटेंशन का पता अक्सर देर से चलता है, यही कारण है कि डॉक्टर उसे साइलेंट किलर कहते हैं।
लो ब्लड प्रेशर : लो ब्लड प्रेशर (90/60) को मेडिकल टर्म में हाइपरटेंशन कहते हैं। वैसे लो बीपी अपने आपमें कोई बीमारी नहीं, लेकिन यह शरीर में पल रही किसी गंभीर बीमारी जैसे हृदय रोग, तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। गंभीर लो ब्लड प्रेशर ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को मस्तिष्क तक पहुंचने से रोकता है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
जो लोग निष्क्रिय होते हैं, उनकी दिल की धड़कन ज्यादा तेज होती है। जितनी ज्यादा आपकी धड़कनें तेज होंगी, तो हर संकुचन के साथ आपके हृदय को अधिक काम करना पड़ेगा और आपकी धमनियों पर उतना दबाव पड़ेगा, जिससे रक्तदाब बढ़ जायेगा। इसलिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। सप्ताह में कम से कम पांच दिन आधा घंटा वर्कआउट जरूर करें।
मिनी मील खाएं : दिन में तीन बार मेगा मील खाने की बजाय 5-6 मिनी मील लें। थोड़ी मात्रा में अधिक बार खाने से रक्त दाब कम नहीं होता, उसे नियंत्रित रखने में सहायता मिलती है।
कम करें नमक : अधिक मात्रा में नमक का सेवन करने से रक्त का दाब बढ़ जाता है और कम मात्रा में करने से रक्त दाब कम होता है। अगर आपका रक्तदाब अधिक कम होने लगे तो एक गिलास पानी में एक चुटकी नमक डालकर पीने से रक्तदाब में बढ़ोतरी हो जायेगी।
रोज 8-10 गिलास पानी : रक्तदाब को आइडियल रेंज में रखने के लिए रोज 8-10 गिलास पानी पीएं। जूस, नारियल पानी भी लें, ताकि डिहाइड्रेशन न हो।डिहाइड्रेशन होने पर निम्न रक्तदाब की समस्या हो जाती है।
हाय बीपी में उपाय :
उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने वाली चीजें आपके किचन में ही उपलब्ध हैं। घरेलू उपायों से रक्तचाप को नियंत्रित करना बेहद आसान है और इनसे कोई साइड इफेक्ट होने की आशंका भी नहीं।
नीबू : सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नीबू निचोड़कर पीएं या दोपहर के खाने के बाद एक गिलास नींबू पानी पी लें। नीबू रक्त नलिकाओं को मुलायम रखता है।
लहसुन : कच्चे लहसुन को सलाद के साथ या सब्जी के साथ खाएं। यह नाइट्रिक ऑक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड के निर्माण को स्टीम्यूलेट कर रक्त नलिकाओं को रिलैक्स रखता है।
केला :यह पोटेशियम का अच्छा स्त्रोत है, जो सोडियम के प्रभाव को कम करता है। रोज एक-दो केला खाना रक्त दाब को नियंत्रित करने में सहायक है
लो बीपी में उपाय :
एक कप शकरकंद का जूस दिन में दो बार पीएं। यह लो बीपी का सबसे अच्छा घरेलू उपचार है।
मिट्टी के बर्तन में 32 किशमिश डालें। बर्तन को पानी से पूरा भर दें। सुबह खाली पेट उन्हें एक-एक कर चबाएं। उसके बाद वह पानी भी पी लें।
तुलसी की 10-15 पत्तियों को पीसकर रस निकालें और उसे एक चम्मच शहद के साथ खाली पेट लें।
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