बच्चों में बढ़ते अंधापन का कारण है विटामिन-ए की कमी
पूरे विश्व में विटामिन-ए की कमी बढ़ते अंधेपन का एक बहुत बड़ा कारण बन गया है। भारत में ही विटामिन-ए की कमी से पीड़ित दो लाख बच्चे हैं। यह समस्या अक्सर तीन से छह साल के बच्चों को ज्यादा होती है। विटामिन ए आंखों की रोशनी, शरीर के विकास व मजबूत रोग प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए आवश्यक पोषक तत्व है। इसके अलावा विटामिन-ए, आयरन के लिए अवशोषण के लिए भी जरूरी है। विटामिन-ए की कमी से आंखों की रोशनी तो कम होती ही है, त्वचा पर घाव भी उभरने लगते हैं।आज के समय में विटामिन-ए की कमी बच्चों में बढ़ते अंधेपन का एक बहुत बड़ा कारण है। इससे कई अन्य बीमारियां, जैसे- डायरिया और मीजल्स आदि होने की भी संभावना रहती है। शरीर में विटामिन-ए की पर्याप्त मात्र सामान्य दृष्टि, हड्डियों का विकास, हेल्दी स्किन, पाचन के म्यूकस मेम्ब्रेन की सुरक्षा, श्वास प्रणाली और यूरेनरी ट्रेक्ट को संक्रमित होने से बचाता है।
विटामिन-ए की कमी 113 देशों में एक बड़ी समस्या बन चुकी है, खासकर दक्षिणी-पूर्वी एशिया में इसका निशाना छोटे-छोटे बच्चे बन रहे हैं। हालांकि बहुत-से लोग यह जानते हैं कि विटामिन-ए की कमी से अंधेपन की चपेट में आ सकते हैं, लेकिन कई लोगों को यह जानकारी नहीं कि ऐसे बच्चे जिनमें विटामिन-ए की कमी होती है, उनमें अंधेपन की शुरुआत से पहले कई और बीमारियां, जैसे मीजल्स, डायरिया और मलेरिया आदि से होनेवाली मौत का खतरा 25 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
क्यों जरूरी है : विटामिन-ए रेटिना पर पड़ने वाली रोशनी को नो सिग्नल में बदलता है। इससे आपके बच्चों की आंखों की सेहत अच्छी होती है, जबकि इसकी कमी बचपन में आंखों की बीमारी का सबसे प्रमुख कारण होती है। जब शरीर में विटामिन-ए की कमी होती है, तो आंखों के विभिन्न हिस्सों में बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। सबसे प्रमुख लक्षण है कि बच्चे को अंधेरे में देखने में दिक्कत होती है।
इसी कमी के लक्षण : विटामिन ए की कमी के शुरुआती लक्षण हैं- रात में कम दिखना। अन्य लक्षण हैं- आंखों में सूखापन, आंखों में सिकुडन, बढ़ता धुंधलापन, मुंह में छाले हो जाना, कोर्निया में रूखापन आना।
विटामिन-ए की कमी के निरंतर बढ़ने से आंखों के सफेद भाग के मेम्ब्रेन में सिल्वर-ग्रे रंग का सूखे से झाग का जमाव हो जाता है । सही इलाज न कराने पर कोर्निया का रूखापन बढ़ता ही जाता है, जिससे कोर्नियल संक्रमण, रप्चर व कुछ ऐसे टिश्यू बदलाव होते हैं, जिससे मरीज अक्सर अंधेपन का शिकार हो जाता है।
अब यह प्रमाणित किया जा चुका है कि छह महीने से लेकर पांच साल तक के बच्चों में इस कमी को दूर करने के लिए एक साल तक विटामिन-ए के दो हाइ डोज दिये जा सकते हैं। दूध पिलाने वाली माताओं को भी विटामिन-ए की खुराक दिलाना जरूरी है। मां का दूध विटामिन-ए का प्राकृतिक स्रोत होता है। सबसे बेहतर तरीका है कि बच्चों को शुरू से मां का दूध पिलाया जाये।
प्रमुख आहार :दूध, अंडे, मछली, लाल और नारंगी फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, अखरोट, लहसुन, पपीता, सीताफल, पालक, शकरकंद आदि खाद्य पदार्थों में विशेष तौर पर विटामिन-ए पाया जाता है। बच्चों को शुरू से इनकी आदत डालें।
क्या कहते हैं आंकड़े
प्रिवेंट ब्लाइंडनेस अमेरिका के अनुसार अमेरिका में स्कूल जाने से पहले 20 में से एक बच्चा व स्कूल जाने वाले हर चौथे बच्चे की नजर कमजोर होती है। भारत में भी 18 वर्ष से कम आयु के करीब 41 फीसदी बच्चों को नेत्र संबंधी विकार हैं। करीब 42 फीसदी कामगार, 42 फीसदी ड्राइवर और 45 फीसदी बुजुर्गों में भी इसी तरह की समस्या है।
विटामिन-ए की कमी का अंदेशा होने पर डॉक्टर खून जांच की सलाह दे सकते हैं, ताकि आपके शरीर में विटामिन-ए की कमी के स्तर का पता लगाया जा सके।
इस कमी को ऐसे पहचानें
रूखी त्वचा और रूखे बाल।
साइनस, श्वास संबंधी, यूरेनरी और पाचन में संक्रमण।
वजन न बढ़ना, कोर्निया का हल्का होना (क्रोध थाल्मिया) नर्वस डिसऑर्डर व रात में कम दिखना।
यह सुनिश्चित कीजिए :
पूरे विश्व में विटामिन-ए की कमी बढ़ते अंधेपन का एक बहुत बड़ा कारण बन गया है। यह समस्या तीन से छह साल के बच्चों को ज्यादा होती है। बेहतर यही है कि इसकी रोकथाम की जाये। सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा भरपूर हरी सब्जियां और फल खाये, रोजाना दूध पीए, ताकि वह विटामिन-ए की कमी से मीलों दूर रहे।
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